रुआल आमुन्सन

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साँचा:ज्ञानसन्दूक व्यक्ति रुआल आमुन्सन (Roald Amundsen / १८७२-१९२८) नार्वे का एक साहसी अन्वेषक था जिसने ध्रुवीय क्षेत्रों की साहसिक यात्राएँ की। उसने 1910-12 में दक्षिणी ध्रुव की खोजयात्रा का नेतृत्व किया जिससे सन् १९११ में उसकी खोज हुई। सन् १९२६ में उत्तरी ध्रुव पर पहुँचने वाला वह प्रथम निर्विवाद खोजयात्री था। उसने ही सबसे पहले 1903–06 में उत्तर-पश्चिम मार्ग (Northwest Passage) की यात्रा की।

परिचय

रुआल आमुन्सन का जन्म देहात में हुआ था, परंतु उसने शिक्षा क्रिस्चियाना में (जिसका नाम अब ओसलो है) पाई थी। सन् १८९० में उसने बी.ए. पास किया और आयुर्विज्ञान (मेडिसिन) पढ़ना आरंभ किया, परंतु मन न लगने से उसे छोड़ उसने जहाज पर नौकरी कर ली। सन् १९०३-६ में वह 'ग्योआ' नामक नाव या छोटे जहाज में अपने छह साथियों के साथ उत्तर ध्रुव की खोज करता रहा और उत्तर चुंबकीय ध्रुव का पता लगाया। १९१०-१२ में वह दक्षिण ध्रुव की खोज करता रहा और वही पहला व्यक्ति था जो दक्षिण ध्रुव तक पहुँच सका। प्रथम विश्वयुद्ध के कारण उसे कई वर्षो तक चुपचाप बैठना पड़ा। १९१८ में उसने फिर उत्तर ध्रुव पहुँचने की चेष्टा की, परंतु सफलता न मिली। तब उसने नॉर्ज नामक नियंत्रित गुब्बारे (डिरिजिबिल) में उड़कर दो बार उत्तर ध्रुव की प्रदक्षिणा की और ७१ घंटे में २,७०० मील की यात्रा करके सफलापूर्वक फिर भूमि पर उतरा। जब जनरल नोबिल का हवाई जहाज उत्तर ध्रुव से लौटते समय मार्ग में दुर्घटनाग्रस्त हो गया तो आमुंसन ने बड़ी बहादुरी से उसको खोजने का बीड़ा उठाया। १७ जून १९२८ को उसने इस काम के लिए हवाई जहाज में प्रस्थान किया, परंतु फिर उसका कोई समाचार संसार को प्राप्त न हो सका।